सुर्ख़ियों में- National Policy for Rare Diseases-2021
हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज़ के लिए “दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021” को स्वीकृति प्रदान की है।
हालांकि ‘दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित मरीजों के देख-रेख करने वाले संगठन ‘राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति’ (National Policy for Rare Diseases), 2021 को वर्तमान में महत्वहीन नीति के रूप में उल्लेखित कर रह हैं।
दुर्लभ बीमारियाँ-
दुर्लभ बीमारियाँ क्या हैं?
दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषित नहीं है क्योंकि अलग-अलग देशों में इसकी अलग-अलग परिभाषाएँ हैं। अत: दुर्लभ बीमारियां आबादी के छोटे प्रतिशत को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ होती है, अर्थात प्रायः कम लोगों में पायी जाती है।
80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियाँ मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। किसी व्यक्ति में ये बीमारियाँ पूरे जीवन भर भी मौजूद हो सकते हैं, भले ही इसके लक्षण तत्काल दिखाई न देते हों।
दुर्लभ बीमारी’ को अनाथ बीमारी या ‘ऑर्फ़न डिजीज’ (orphan disease) के रूप में भी जाना जाता है।
भारत में दुर्लभ बीमारियाँ-
भारत में प्रायः पाई जाने वाली सबसे आम दुर्लभ बीमारियों निम्न है-
हीमोफिलिया
थैलेसीमिया
सिकल-सेल एनीमिया
ऑटो-इम्यून डिजीज
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर
दुर्लभ बीमारियों के इलाज़ से संबंधित चिंताएँ और चुनौतियाँ-
दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषित नहीं होना, इन बीमारियों को ज्यादा घातक बनाती है।
दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए शोध लागत का ज्यादा होना, इन बीमारियों की लागत का अनुमान लगाने और लागत की तुलना में लाभ की संभावना को कम कर देता है।
दुर्लभ बीमारियों के व्यापक रोग-विज्ञान संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करना मुश्किल है, जिससे ये बीमारियाँ स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के समक्ष महत्वपूर्ण चुनौती खड़ी करती है।
इन बीमारी की व्यापकता निर्धारित करना एक समस्या है।
दुर्लभ बीमारियों का समय पर और सही निदान को सौ प्रतिशत नहीं कहा जा सकता।
दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 का उद्देश्य-
दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 का उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के इलाज़ के लिए स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा देना है और साथ में दुर्लभ बीमारियों के उपचार की ऊंची लागत को कम करना है।
दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 के प्रावधान-
इस नीति के तहत, दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
एक बार के उपचार की जरूरत वाली बीमारियाँ।
दीर्घकालिक किंतु सस्ते उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियाँ।
महंगे एवं दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियाँ।
दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीज, शीघ्र ही ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के तहत एक मुश्त उपचार के लिए पात्र होंगे।
इस नीति के तहत, लाभार्थियों को BPL में आने वाले परिवारों तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि इनको लगभग 40% आबादी तक विस्तारित किया गया है।
जो लोग दुर्लभ बीमारियों (दुर्लभ बीमारी नीति में ग्रुप-1 के तहत लिस्टेड बीमारियां) से पीड़ित हैं, जिन्हें एक बार इलाज की जरूरत होती है, उन्हें राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिलेगी।
रिसर्च और विकास में रुचि रखने वालों के लिए पर्याप्त डेटा को सुनिश्चित करने के लिए एक National Hospital Based Rare Diseases Registry बनाई जाएगी, जिससे दुर्लभ बीमारियों की परिभाषा के लिए और देश के भीतर दुर्लभ बीमारियों से जुड़ीं रिसर्च और विकास के लिए पर्याप्त डाटा उपलब्ध हो सके।
इस नीति में एक “क्राउड फंडिंग” व्यवस्था पर भी विचार किया गया है, जिसमें कॉरपोरेट और लोगों को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए एक मजबूत आईटी प्लेटफॉर्म के जरिए वित्तीय देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 में कमियाँ-
इस नीति के तहत, दुर्लभ बीमारियों की दूसरी और तीसरी श्रेणियों में वर्गीकृत दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए किसी भी प्रकार की स्थायी इलाज़ राशि का प्रावधान नहीं किया गया है। यह एक सोचने वाला विषय है।
इस नीति में दुर्लभ बीमारियों की पहली श्रेणी में उल्लेखित बीमारियों के अलावा अन्य श्रेणियों की दुर्लभ बीमारियों के इलाज़ का दायित्व अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकारों पर डाला गया है, जबकि वर्तमान में राज्य सरकारो की वित्तीयन हालत बहुत खराब है। अत: यह नीति अपूर्ण नजर आती है।
दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित कुल मरीजों में पहली श्रेणी की बीमारियों से पीड़ितों का कुल प्रतिशत केवल 5 प्रतिशत है, बाकि 95% दूसरी और तीसरी श्रेणी की दुर्लभ बीमारियों का भाग है, जबकि सरकार ने इनके लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया है।
निष्कर्ष-
भारत एक कल्याणकारी राज्य है और राज्य की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक को सस्ती, सुलभ और विश्वसनीय स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं उपलब्ध करवाये।
हाल ही में जारी दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति-2021 इस संकल्पना को साकार करती है, मगर नीति में उल्लेखित दुर्लभ बीमारियों की दूसरी और तीसरी श्रेणियों में वर्गीकृत दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए प्रत्यक्ष वित्तीयन का प्रावधान कल्याणकारी राज्य कि संकल्पना को ओर मजबूती प्रदान करता है। अत: सरकार को इस नीति के कमजोर पहलूओं पर भी ध्यान देना चाहिये।