सुर्ख़ियों में- African Swine Fever
- हाल ही में भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम में पिछले दो सप्ताह में 276 से ज्यादा सूअरों की मौत हो गई है।
- वर्तमान में सूअरों की मौत के कारण का अभी तक पता नहीं किया जा सका है, हालांकि संदेह है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African swine fever) के कारण इन सूअरों की मौत हो सकती है।
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के “पशु स्वास्थ्य कोड” में सूचीबद्ध एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पता चलने पर तुरंत इस संगठन को सूचित करना जरूरी होता है। अत: इस बीमारी का प्रसार भारत के लिए चिन्ताजनक हो सकता है।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African swine fever)
अफ्रीकन स्वाइन फीवर क्या है?-- अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है जो सभी उम्र के घरेलू और जंगली सूअरों को प्रभावित करती है। हालांकि यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है और इसका सूअरों से मनुष्यों में संक्रमण नहीं होता है।
- दुनिया भर के देशों के सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन बुखार पाया जाता है, खासकर यह उप-सहारा अफ्रीका में सर्वाधिक पाया जाता है।
- हाल ही में, यह चीन, मंगोलिया, भारत और वियतनाम के साथ-साथ यूरोपीय संघ के कुछ हिस्सों में फैल गया है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कारक/कारण-
- अफ्रीकी स्वाइन बुखार का प्रसार सबसे पहले 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था। यह एसफेरविरिडे परिवार के DNA वायरस के कारण होता है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संचरण-
अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संचरण निम्न प्रकार से होता है-- संक्रमित घरेलू या जंगली सूअरों के साथ सीधा संपर्क होने पर।
- संक्रमित सूअरों से अप्रत्यक्ष संपर्क होने पर।
- दूषित सामग्री के अंतर्ग्रहण के माध्यम से जैसे कि खाद्य अपशिष्ट, फ़ीड, या कचरा।
- जैविक वैक्टर से।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण-
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के निम्न लक्षण है-- संक्रमित सूअरों को तेज़ बुखार आना।
- सूअरों की भूख में कमी आना जिससे सूअरों का कमजोर होना।
- सूअरों की त्वचा पर लाल, धब्बेदार घाव हो जाना।
- सूअरों के पेट में अपच की समस्या का होना।
- सूअरों के द्वारा सांस लेने में कठिनाई महसूस करना।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के प्रसार से होने वाले नुकसान-
- इस बुखार के प्रसार से सूअर पालन के उद्योग को नुकसान होगा व सूअर पालन करने वालों लोगों की आय में कमी आयेगी।
- भारत से होने वाले सूअर के माँस के निर्यात में कमी आ सकती है। साल 2020 में भारत से पोर्क और संबंधित उत्पादों का अमेरिका में निर्यात 5,00,000 अमेरिकी डॉलर का था।
- सूअर का माँस सेवन करने वाले लोगों की खाद्यय आदतों में बदलाव आ सकता है।
- इस का संक्रमण अगर भारत में तीव्रता से प्रसार होता है तो भारत से खाद्य उत्पादों का आयात करने वाले देश भारत से खाद्य उत्पादों के आयात की मात्रा में कमी कर सकते है।

रोकथाम और नियंत्रण- इस रोग की रोकथाम के लिए तमाम देशों के द्वारा स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग तरह की रणनीतियां अपनाई जाती हैं।
- वर्तमान में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लिए कोई अनुमोदित टीका नहीं है। अत: निवारक उपचार ही सर्वोतम है।
- रोग से मुक्त देशों में रोकथाम उपयुक्त आयात नीतियों और जैव सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन को लागू करके।
- संक्रमित देशों से आने-जाने वाले पशु आहार, पशुधन आयात और वाहनों आदि पर रोक लगा करके।
- संक्रमण से प्रभावित देशों से आने वाले विमानों, जहाजों या वाहनों से अपशिष्ट भोजन का उचित निपटान सुनिश्चित करके।
- अफ्रीकन स्वाइन फीवर से प्रभावित देशों से सूअर और पोर्क उत्पादों के अवैध आयात को प्रतिबंधित करके।
- सैनिटरी उपायों को लागू करके।
- संक्रमित सूअरों की ट्रेसिंग कर उन्हें मार करके दफना दिया जाये।