Dispute Between China and Philippines in South China Sea

Dispute Between China and Philippines in South China Sea
सुर्ख़ियों में- Dispute Between China and Philippines in South China Sea
हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच लगातार बढ़ते विवाद के बीच फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में ‘नौसेना की तैनाती’ की घोषणा की है। चीन और फिलीपींस के बीच तनाव का कारण-
  • हाल ही में फिलीपींस के राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में पहली बार सार्वजनिक रूप से “जुलिना फेलिप रीफ” पर चीनी नौकाओं की मौजूदगी को स्वीकार किया है जबकि पहले जुलिना फेलिप रीफ पर फिलीपींस का नियंत्रण था, लेकिन पिछले कुछ समय से चीनी नौसेना के अंतर्गत काम करने वाली मिलिशिया की नौकाओं ने इस रीफ को घेर रखा है।
  • चीन जुलिना फेलिप रीफ को दक्षिण चीन सागर के “स्प्रैटली द्वीप समूह के व्हिटसन रीफ” का हिस्सा मानता है। हालांकि जुलिना फेलिप रीफ पर कब्जे के लिए फिलीपींस की नौसेना ने कई बार प्रयास भी किया है, लेकिन हर बार उन्हें चीनी नौकाओं के कारण पीछे हटना पड़ा।
  • वर्ष 2013 में फिलीपींस ने अपने समुद्री क्षेत्र में चीन के हस्तक्षेप को ‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS), 1982 के तहत स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration- PCA) में चुनौती दी थी, जिसे स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने जुलाई 2016 के अपने फैसले में दक्षिण चीन सागर में चीन के हस्तक्षेप को गलत बताया।
  • हालांकि चीन स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा और चीन ने इसे खारिज कर दिया था।
Samyak IAS

दक्षिण चीन सागर अवस्थिति-
  • दक्षिण चीन सागर, दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित पश्चिमी प्रशांत महासागर का हिस्सा है जो चीन के दक्षिण और पूर्व में तथा वियतनाम के दक्षिण में, फिलीपींस के पश्चिम में एवं बोर्नियो द्वीप के उत्तर में स्थित है।
सीमावर्ती देशों-
  • इस सागर के सीमावर्ती देशों में चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और वियतनाम जैसे देश है।
  • दक्षिण चीन सागर, फिलीपीन सागर से लूजॉन (Luzon) जलसंधि द्वारा और पूर्वी चीन सागर से ताइवान जलसंधि से जुड़ा हुआ है।
दक्षिण चीन सागर में विवाद का कारण-
  • दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों को लेकर कई देशों के बीच दशकों से विवाद रहा है जो समुद्री क्षेत्र पर अधिकार और संप्रभुता को लेकर है। वर्ष 1949 से ही चीन ‘नाइन-डैश लाइन’ के माध्यम से दक्षिण चीन सागर के अधिकांश भाग पर अपने अधिकार का दावा करता रहा है।
  • 9 डैश लाइन रेखा को सीधे रूप में ना खींच कर 9 डैश में पूरा किया गया है इसलिए इसका नाम 9 डैश लाइन पड़ा है।
  • यह रेखा दक्षिण चीन सागर से लगने वाले देश फिलीपीन्स, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई, इंडोनेशिया तथा सिंगापुर के आधिकारिक समुंद्री क्षेत्र से होकर गुजरती है इस कारण यह विवाद का कारण बनी हुई है।
  • यह लाइन दक्षिणी चीन सागर के कुल भाग का 80% चीन का कब्जा बनाती है जिससे चीन का कुल सागर के 80% भाग पर दावा घोषित होता है। इस दावे को पुख्ता करने के लिए चीन 3000 वर्ष पहले जब चीन में राजाओं का राज था उस समय का हवाला देता है तथा स्पष्ट करता है कि उसका इस सागर पर चीन का ऐतिहासिक अधिकार है।
  • वर्ष 2010 से चीन द्वारा निर्जन टापुओं को कृत्रिम टापुओं में परिवर्तित किया जा रहा है उदाहरण के लिए, हेवन रीफ, जॉनसन साउथ रीफ, फेरी क्रॉस रीफ आदि।
  • इसके विपरित दक्षिणी चीन सागर में अवस्थित द्वीपों पर विभिन्न देश अपने-अपने दावे करते है जैसे-
    1. पारसेल द्वीप समूह- इस द्वीप समूह पर चीन, ताइवान और वियतनाम द्वारा दावा किया जाता है।
    2. स्प्रैटली द्वीप समूह- इस द्वीप समूह पर चीन, ताइवान, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस द्वारा दावा किया जाता है।
    3. स्कारबोरो शोलपर द्वीप समूह- इस द्वीप समूह पर फिलीपींस, चीन और ताइवान द्वारा दावा किया जाता है।
Samyak IAS

दक्षिण चीन सागर का महत्व सामरिक महत्व-
  • यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर (मलक्का जलसन्धि) के बीच संपर्क-कड़ी है, इसी संपर्क-कड़ी के कारण सामरिक रूप से इस सागर का सामरिक महत्व बढ़ जाता है।
वैश्विक नौपरिवहन व व्यापार के लिए महत्व-
  • UNCTAD (United Nations Conference on Trade And Development) के आकड़ों के अनुसार वैश्विक नौपरिवहन का एक-तिहाई भाग ‘दक्षिणी चीन सागर’ से होकर गुजरता है, जिसके द्वारा अरबों का व्यापार होता है। इस कारण भी यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक जल निकाय है।
ऊर्जा की प्रचुरता के कारण महत्व-
  • दक्षिणी चीन सागर में ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएं हैं। यहां 11 अरब बैरल तेल और 190 लाख करोड़ घन फुट प्राकृतिक गैस का भंडार होने का अनुमान है।
समुद्री जीवन की प्रचुरता के कारण महत्व-
  • दक्षिणी चीन सागर में समुद्री जीवन की प्रचुर संभावनाएं हैं इस कारण इसका महत्व बढ़ जाता है।
  • दुनिया भर में जितनी मात्रा में मछलियां पकड़ी जाती हैं, उनका 12 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण चीन सागर में ही होने का अनुमान है।
सैन्य महत्व-
  • दक्षिणी चीन सागर में चीन अपने सैन्य अड्डे निर्मित कर रहा है जहाँ से चीन हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य शक्ति की बदौलत नियंत्रण स्थापित करेगा।
Samyak IAS

दक्षिण चीन सागर विवाद पर भारत का पक्ष-
  • भारत दक्षिण चीन सागर में हस्तक्षेप न करने की नीति का समर्थन करता है, परंतु दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की कार्रवाई का प्रभाव भारत के व्यापारिक एवं सामरिक हितों पर पड़ सकता है।
  • हालांकि हाल के वर्षों में भारत ने अपनी एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्वी एशिया के देशों के साथ अपने संबंधों को और मज़बूत करने का प्रयास तेज़ किया है। इस पहल के तहत भारत ने इस क्षेत्र के कई देशों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है।
निष्कर्ष-
  • वर्तमान में चीन विश्व राजनीति में प्रमुख स्थान पाने की विशेष राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली बड़ी ताकत के रूप में उभरा है। उसने अपनी सामरिक गतिविधियों और कूटनीतिक कौशल के जरिये बड़ी शक्तियों और उनके सहयोगियों पर प्रभाव डालकर यह दिखाया भी है।
  • फिलीपींस के “जुलिना फेलिप रीफ” पर चीनी नौकाओं की मौजूदगी चीन की इस महत्वाकांक्षा को दर्शाती है। दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र और आसियान जैसे मंचों पर सामूहिक वैश्विक प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिये ताकि चीन पर दबाव बनाया जा सके।
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