Financial Action Task Force (FATF)

Important for:-

1. RAS pre.

2. RAS Mains– Paper-III/Unit-I/IR

  • सुर्ख़ियों में
  • हाल ही में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने रूस द्वारा यूक्रेन पर किये गये आक्रमण को लेकर FATF से रूस की सदस्यता निलंबित की है।
  • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के अनुसार रूस द्वारा यूक्रेन पर की गयी कार्रवाइयाँ वैश्विक सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिति को कमजोर करती है जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं।
  • गठन/स्थापना–  जुलाई 1989 में पेरिस में हुए जी 7 समिट में।
  • मुख्यालय– पेरिस, फ़्रांस में।
  • सदस्य देशों की संख्या– 39
  • उद्देश्य/लक्ष्य
  • मनी लॉन्ड्रिंग तकनीकों और रुझानों की जांच करना।
  • राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ पहले से की गई कार्रवाई की समीक्षा करना।
  • मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए आवश्यक उपाय करना।
  • वर्ष 2001 में इस संस्थान ने आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लक्ष्यों को भी अपनाया ताकि आतकंवादी गतिविधियों का वितीयन रोका जा सके। 
  • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का निर्णय लेने वाला निकाय, एफएटीएफ प्लेनरी प्रति वर्ष तीन बार मिलता है और FATF के मानकों का पालन नहीं करने पर देशों को जिम्मेदार ठहराते उन देशों को “ग्रे और ब्लैक लिस्ट” में संदर्भित करता है।
  • ग्रे लिस्ट

इस लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो कि अपने देश के फाइनेंसियल सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग करते है या बढ़ावा देते। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को ना रोकने पर वे ब्लैक लिस्ट हो सकते हैं।

  • ब्लैक लिस्ट

जो देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का पूर्ण और प्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते हैं उन्हें ब्लैक लिस्ट में सूचीबद्ध किया जाता है।

  • सदस्यता निलम्बन से रूस पर पड़ने वाले प्रभाव-
  • सदस्यता निलम्बन से रूस की वैश्विक छवि को धक्का पहुँचेगा क्योंकि रूस स्वयं को वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है।
  • FATF द्वारा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन को समर्थन दिया जाना रूस के युद्ध वितीयन को समाप्त कर सकता है।

रूस को युद्ध संदर्भों को जारी रखने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होने वाले वितीयन पर रोक लग सकती है।

रूस-यूक्रेन

  • रूस-यूक्रेन की सीमा पर तनाव के मद्देनजर रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर सैन्य आक्रमण शुरू कर दिया था जिसकें परिणामस्वरूप विश्व के समक्ष नवीनतम संकट उत्पन्न हो गये है। हालांकि इस संकट से निपटने के लिए अमेरिका और नाटो यूक्रेन का अप्रत्यक्ष समर्थन कर रहे हैं।
  • रूस यूक्रेन संघर्ष-की पृष्ठभूमि –
  • सोवियत संघ के विघटन से पूर्व आज का यूक्रेन सोवियत संघ का एक भूक्षेत्र था लेकिन में 1991 सोवियत संघ केविघटन ने यूक्रेन को स्वतंत्रत राष्ट्र के रूप में स्थान दिया।
  • विघटन पूर्व सोवियत संघ के लिए यूक्रेन परमाणु हथियार निमार्ण और भंडार स्थल के रूप में ज्यादा महत्व रखता था।
  • दिसंबर में 1991 यूक्रेनी जनमत संग्रह ने खुद को स्वतंत्रत राष्ट्र के रूप में घोषित कर लिया मगर के दशक में रूस ने 1990 यूक्रेनी सांस्कृतिक नीतियों की आलोचना की और क्रीमिया के हस्तांतरण पर सवाल उठाया।
  • वर्ष 1997 में रूस ने एक व्यापक संधि के माध्यम से आज के यूक्रेन की सीमाओं को मान्यता प्रदान की।
  • वर्ष 2014 में यूक्रेन में रूसी समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बेदखल करने के बाद क्रीमिया में एक घोर संकट पैदा हो गया क्योंकि विक्टर यानुकोविच ने अपने देश को पश्चिम की ओर जाने से रोकने के लिए में ईयू एसोसिएशन समझौते को स्थगित 2013 कर दिया और इसी कारण यानुकोविच के खिलाफ विरोध हुआ जब विरोध बढ़ा तो यानुकोविच को रूस भागना पड़ा।
  • बढ़ते संकट के मध्य मार्च में क्रीमिया में जनमत संग्रह 2014 कराया गया। इसमें फीसदी लोगों 97 को क्रीमिया आधिकारिक तौर पर 2014 मार्च 18 ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया और रूसका हिस्सा बना।
  • इन सब के मध्य रूस द्वारा क्रीमिया पर वर्ष में कब्जे ने संकट को वैश्विक बना दिया व क्रीमिया 2014 के आक्रमण और कब्जेके कारण रूस ने इस क्षेत्र में समुद्री लाभ प्राप्त किया।
  • क्रीमिया के आक्रमण और कब्जे के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ने यूक्रेन की सीमाओं की अखंडता की रक्षा करने का वचन दिया जो रूस को चुनौती के रूप में था।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध/आक्रमण के वास्तविक कारण-
  • नाटो का पूर्व की तरफ विस्तार – वर्ष 2019 के चुनाव में यूक्रेन में वोलोदिमीर जेलेंस्की राष्ट्रपति चुने गए व उन्होंने डोनबास की पुरानी स्थिति को बहाल करने का वादा किया और नाटो की सदस्यता के लिए कहा।

रूस के अनुसार उत्तर अटलांटिक संधि संगठन द्वारा पूर्व की ओर विस्तार ने रूस के भू- राजनीतक और सामरिक हितों के लिए खतरा पैदा किया है और यूक्रेन इसी विस्तार का अगला स्वरूप है। रूस ने नाटो से लिखित सुरक्षा गारंटी मांगी है। वर्तमान में यूक्रेन पश्चिमी देशों व रूस के मध्य बफर जोन का काम कर रहा है।

  • Note– पूर्वी यूक्रेन का डोनबास क्षेत्र ( डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र) वर्ष से 2014 रूसी समर्थक अलगाववादी आंदोलन का सामना कर रहा है। यूक्रेन सरकार के अनुसार, आंदोलन को रूसी सरकार और लुहा द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन दिया जाता है और रूसी अर्द्धसैनिक बल यूक्रेन सरकार के खिलाफ अलगाववादियों की संख्या 15% से 80% के बीच है।
  • मिसाइल रक्षा प्रणाली– अमेरिकी नेतृत्व में नाटो ने रूस की अंतरमहाद्वीपीय दूरी की मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए पोलैंड और चेक गणराज्य जैसे देशों में पूर्वी यूरोप में मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई है रूस जो प्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन को प्रभावित करेगी अत, यूक्रेन के माध्यम से नाटो विस्तार को अंकुश लगाना चाहता है।
  • आर्थिक महत्व– अपने विशाल बाजार, उन्नत कृषि और औद्योगिक उत्पादन के साथ यूक्रेन रूस के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन वर्तमान सत्ता रूस के अनुकूल नहीं है।
  • रूस का सोवियत संघ के रूप में पुनर्स्थापित होने का लक्ष्य – सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने नव निर्मित देशों को रूस का ही भाग माना है, राष्ट्रपति पुतिन रूस को पुनसोवियत संघ का : स्वरूप देना चाहते है।
  • रूस-यूक्रेन संकट के परिणाम-

रूस पर प्रभाव-

  • आर्थिक प्रतिबंध- यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने रूस की यूक्रेन पर कार्रवाई को हमले के रूप में परिभाषित किया है और रूस को निर्यात किये जा सकने वाले उत्पादों व रूस द्वारा आयात किये जाने वाले उत्पादों पर मजबूत प्रतिबंध लगाए है
  • बैंक विनियमन और सहायक गतिविधियों पर रोक- रूस में राज्य के स्वामित्व वैश्विक बैंक और उद्यमों के लेनदेन पर पूर्णतवैश्विक प्रतिबंध लागू किये गये है।
  • वर्तमान में रूस अपने आयात उत्पादों में तेल और गैस का एक बढ़ा हिस्सा रखता है मगर वर्तमान के प्रतिबंध रूस की तेल और गैस आधारित आयातित गतिविधियों पर परिणामस्वरूप रूस को अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

विश्व पर प्रभाव-

  • वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि -रूस द्वारा उत्पादित तेल और गैस पर रोक और आपूर्ति श्रंखला में उत्पन्न बाधा के कारण तेल की कीमतें बढ़ गईं।
  • यूरोप में शरणार्थियों की का आगमन और उनके अधिकार– संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार रूस के आक्रमण के बाद से लगभग 9 लाख लोग एक स्थान से दुसरे स्थान पर  विस्थापित हुए है जो उनके अधिकारों के साथ एक नया मानवीय संकट पैदा करेगा। वर्तमान में शरणार्थियों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं।
  • वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रंखला में बाधा – वर्तमान में विश्व में गेहूं, सूरजमुखी और मकई के लिए शीर्ष पांच अंतरराष्ट्रीय निर्यातकों में रूस और यूक्रेन शामिल हैं जो उत्पादों की कीमतों में उछाल का कारण है।
  • वैश्विक चिप संकट– यूक्रेन सेमीकंडक्टर फैब लेजर के उत्पादन में उपयोग की जाने वाली दुर्लभ गैसों की आपूर्ति करता है और रूस अर्द्धचालक बनाने के लिए पैलेडियम जैसी दुर्लभ धातुओं का निर्यात करता है। इसलिए इस संघर्ष से वैश्विक चिप संकट उत्पन्न होगा जो सम्पूर्ण सूचना तकनीकी क्षेत्र को के चिप संकल अनियमित करेगा दिया।
  • रूस-यूक्रेन संकट के समाधान की राह-
  • युद्धविराम– रूस यूक्रेन को तत्काल युद्धविराम की घोषणा करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था एकीकृत है व लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष की लागत सम्पूर्ण विश्व के लिए बहुत गंभीर हो सकती है। रूस यूक्रेन की तुलना में शक्तिशाली है अत: यह दायित्व रूस पर है कि वह तत्काल युद्ध विराम लागू करे और फिर दोनों पक्ष वार्ता करें।
  • नई सुरक्षा व्यवस्था – यूरोपीय व्यवस्था जो व्यावहारिक वार्ता के माध्यम से रूस की चिंताओं को समायोजित नहीं करे, लंबे समय तक स्थिर नहीं बनी रह सकती। अत : यूरोप के लिये नई सुरक्षा व्यवस्था जिसे तर्कसंगत ठहरायाँ जा सके को लागू किया जाना चाहिए।

Minsk Peace Process – इस को पुनर्जीवित करना वर्तमान की समस्या का एक समाधान हो सकता है, मिंस्क समझौते के अनुरूप पश्चिम और रूस को बातचीत फिर से शुरू करने और सीमा पर शांति बहाली के लिये प्रतिबद्धताओं को दर्शाना चाहिये।