Geographical Indication Tag

सुर्ख़ियों में:-

  • हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा रीवा के सुंदरजा आम, मुरैना की गजकधमतरी के नगरी दुबराज धान की किस्म को जीआई टैग मिला है।
  • सुंदरजा आम मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ कस्बे में बहुतायत से उत्पादित होता है जो आम की यह बिना रेशे वाली विशेष प्रजाति है जिसमें पाई जाने वाली शर्करा को कुछ मात्रा तक शुगर के मरीज भी खा सकते हैं। इस आम को लेकर 1968 में डाक टिकट जारी किया गया था।
  • मुरैना की गजक जो मिठाई के रूप में प्रचलित है, स्वाद के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। गजक बनाने का काम मुरैना का मुख्य उद्योग है।
  • नगरी दुबराज छत्तीसगढ़ के धमतरी की धान की किस्म है, नगरी दुबराज से निकलने वाला चावल सुगंधित, पूर्णरूप से देशी किस्म व छोटे दाने वाला होता हैं।

Geographical Indication Tag:-

  • वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गनाइज़ेशन के अनुसार भौगोलिक संकेत किसी भी क्षेत्र विशेष में उत्पादित उत्पाद के लिए विशेष प्रतीक चिन्ह होता है जो उस उत्पाद की भौगोलिक उत्पत्ति, गुणवत्ता और पहचान को संरक्षित करने के लिए दिया जाता जिससे  उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाया जा सके।
  • भौगोलिक संकेत यह बौद्धिक संपदा अधिकार का घटक माना जाता है।
  • भारत में जीआई टैग निम्न को प्रदान किया जाता है-
  • फसल विशेष
  • प्राकृतिक उत्पाद
  • मानव निर्मित उत्पाद- खाद्य व अन्य
  • भारत में प्रथम भौगोलिक संकेतक वर्ष 2004 में में दार्जिलिंग की चाय को प्राप्त हुआ था।
  • एक भौगोलिक संकेत का पंजीकरण केवल 10 वर्ष की अवधि के लिए मान्य है, हालांकि इसे समय-समय पर प्रत्येक 10 वर्ष की अवधि के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

संबंधित मंत्रालय:-

  • भारत में भौगोलिक संकेत वस्तु पंजीकरण और संरक्षण एक्ट,-1999 के तहत जारी किए जाते हैं।
  • भौगोलिक संकेत भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री चेन्नई (तमिलनाडु) द्वारा जारी किया जाता है, जो कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

भौगोलिक संकेतक के लाभ:-

  • भौगोलिक संकेतक प्राप्त उत्पादों के लिए बाजार उपलब्धता को सुनश्चित करता है।
  • उत्पाद के नाम के दुरुपयोग को रोकता है जिससे उत्पाद के नाम के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जाता है।
  • भौगोलिक संकेतक क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करता है अत: उस क्षेत्र की प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता है।
  • परंपरागत ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धन किया जा सकता है।
  • इसके द्वारा टूरिज्म और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

भौगोलिक संकेतक प्राप्त राजस्थान के उत्पाद:-

  • बगरू प्रिंट-                  जयपुर
  • बीकानेरी भुजिया-          बीकानेर
  • ब्लू पॉटरी-                   जयपुर
  • ब्लू पॉटरी (लोगो)-          जयपुर
  • कठपुतली-                   राजस्थान
  • कठपुतली (लोगो)-         राजस्थान
  • कोटा डोरिया-                कोटा
  • कोटा डोरिया (लोगो)-      कोटा
  • मकराना संगमरमर-        मकराना (नागौर)
  • मोलेला मिट्टी कार्य-          मोलेला, नाथद्वारा (राजसमंद)
  • मोलेला मिट्टी कार्य (लोगो)- मोलेला, नाथद्वारा (राजसमंद)
  • फुलकारी-                    राजस्थान, पंजाब, हरियाणा
  • सांगानेरी प्रिंट-              जयपुर
  • थेवा कला-                   प्रतापगढ़