सुर्ख़ियों में- अफगानिस्तान के लिए नई शांति योजना का प्रस्ताव
सुर्खियों में- अफगानिस्तान में हिंसा पर रोक लगाने के उद्देश्य से हाल ही में, जो बिडेन प्रशासन द्वारा अफगान सरकार और तालिबान के लिए एक नई शांति-योजना का प्रस्ताव रखा है।
नई शांति योजना में उल्लेखित प्रमुख बिंदु-
प्रस्ताव का उद्देश्य- तालिबान और अफगान नेतृत्व के बीच वार्ता में तेजी लाना।
नई शांति योजना में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत और अमेरिका के प्रतिनिधियों द्वारा वार्ता की जायेगी।
इसमें वार्ता में अफगानिस्तान में शांति सहयोग करने हेतु एक संयुक्त उपागम का प्रस्ताव दिया गया है।
इस शांति योजना से वर्तमान में अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिक लंबे समय तक अफगानिस्तान में रह सकते हैं।
इस प्रस्ताव में “समावेशी सरकार” के लिए एक रोडमैप तैयार करने व ‘स्थायी एवं पूर्ण युद्ध विराम’की शर्तों का उल्लेख है।
वर्तमान में नई शांति योजना की आवश्यकता क्यों?-
वर्तमान में तालिबान और अफगान सरकार द्वारा ‘दोहा’में सम्पन्न शांति वार्ता से कोई महत्वपूर्ण सफलता का नहीं मिलना।
फरवरी 2020 में हुए समझौते के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों को 1 मई तक अफगानिस्तान छोड़ना पड़ सकता हैं।
वर्तमान में शांति-वार्ता की गति का धीमा होना है।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी बाद तालिबान का प्रभुत्व स्थापित होना।
पूर्व में अमेरिका व तालिबान के मध्य सम्पन्न समझौता-
वर्ष 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे|
समझौते में उल्लेखित शर्ते- अमेरिकी सैनिकों की चरणबद्ध वापसी व अंतर-अफगान वार्ता का उल्लेख किया गया था।
यह समझौता अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के लिये व्यापक और स्थायी युद्ध विराम तथा भविष्य के लिये एक राजनीतिक रोडमैप देने का एक बुनियादी कदम था।
शांति प्रक्रिया में भारत की भूमिका-
अमेरिका के अनुसार शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में भारत काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
भारत, समावेशी और अफगान-नेतृत्व एवं अफगान-नियंत्रित शांति और सुलह के लिये सभी प्रयासों का समर्थन करता है।
भारत ने अफगानिस्तान के विकास के संदर्भ में काफी निवेश किया है।
भारत लोकतांत्रिक मूल्य, आतंकवाद, हिंसा, महिला अधिकार आदि से संबंधित मानकों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत के अफगानिस्तान में हित-
आर्थिक और सामरिक हित- भारत के लिए अफगानिस्तान मध्य एशियाई देशों का प्रवेश द्वार हो सकता है।
विकास परियोजनाओं के हित- भारतीय कंपनियों के लिये अफगानिस्तान में व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण की योजनाएँ आर्थिक अवसर पैदा करेंगी।
प्रमुख परियोजनाएँ-
अफगान संसद का निर्माण
डेलारम-जरंज राजमार्ग का निर्माण
अफगानिस्तान-भारत मैत्री बाँध का निर्माण
सुरक्षा के हित- अफगानिस्तान में एक मैत्रीपूर्ण सरकार स्थापित करने से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से निपटने में मदद मिल सकती है।
चुनौतियाँ-
वर्तमान में तालिबान व अफगान सरकार किसी भी प्रकार से सत्ता का बँटवारा नहीं स्वीकार करेगी व तालिबान अफगानिस्तान में सख्त इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर नहीं होने देना चाहता। अतः यह संभव है कि उनमें से कुछ हिंसक गतिविधियों को जारी रखें, जिससे शांति और संवाद प्रक्रिया प्रभावित होगी।