सुर्ख़ियों में- Sushil Chandra Assumes Charge as Chief Election Commissioner
- हाल ही में भारत के निर्वाचन आयोग के 24 वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में सुशील चंद्रा ने पदभार ग्रहण किया है। सुशील चंद्रा ने श्री सुनील अरोड़ा का स्थान लिया है जो 12 अप्रैल 2021 को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद पदमुक्त हुए है।
- सुशील चंद्रा भारतीय राजस्व सेवा के 1980 बैच के अधिकारी हैं। वे 18 फरवरी 2018 से परिसीमन आयोग के सदस्य व 01 नवम्बर 2016 से 14 फरवरी 2019 तक केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष भी रहे हैं।

निर्वाचन आयोग-
- निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्तरदायी है। चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
- निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद-324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है।
- निर्वाचन आयोग एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों से मिलकर बना हैं। वर्ष 1950 से वर्ष 1989 तक यह केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित एकल-सदस्यीय निकाय था।
- वर्ष 1989 से वर्ष 1990 तक यह निकाय तीन-सदस्यीय रहा व वर्ष 1990 से वर्ष 1993 तक यह वापस एकल-सदस्यीय निकाय बनाया गया और फिर पुन: 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बनाया गया।
- संविधान के अनुच्छेद-324[1] के अनुसार निर्वाचन आयोग में निर्वाचन पर्यवेक्षण, निर्देशन, नियंत्रण तथा आयोजन करवाने की शक्ति निहित होगी।
- भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और देश में राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करना।
- चुनावों से पूर्व निर्वाचक नामावली तैयार करना।
- राजनैतिक दलों का पंजीकरण करना व राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये चुनाव में ‘आदर्श आचार संहिता’ जारी करना।
- सभी राजनीतिक दलों के लिये प्रति उम्मीदवार चुनाव अभियान खर्च की सीमा निर्धारित करना और उसकी निगरानी करना।
- निर्वाचन आयोग द्वारा सांसद/विधायक की अयोग्यता (दल-बदल को छोडकर) पर राष्ट्रपति व राज्यपाल को सलाह दी जाती है।
- निर्वाचन आयोग द्वारा गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है।
- चुनावों के समय आचार सहिंता को लागू करवाना।

चुनाव आयोग व चुनावों से संबंधित अनुच्छेद-
- अनु.- 324- चुनाव आयोग में चुनावों के लिये निहित दायित्व: अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति का होना।
- अनु.- 325- धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची में शामिल न करने और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान का निहित होना।
- अनु.- 326- लोकसभा एवं प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होना।
- अनु.- 327- विधायिका द्वारा चुनाव के संबंध में संसद में कानून बनाने की शक्ति।
- अनु.- 328- किसी राज्य के विधानमंडल को इसके चुनाव के लिये कानून बनाने की शक्ति।
- अनु.- 329- चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप करने के लिये बार (BAR)
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख होता है और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चुनाव करवाने के लिए उत्तरदायी होता हैं।
- राष्ट्रपति के पास मुख्य चुनाव आयुक्त और उनकी सलाह पर अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन करने की शक्ति होती है।
- राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन संसद द्वारा निर्मित विधि के अनुसार करेगा।
- भारत के संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
- वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, तक होता है।
- निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।

वेतन और भत्ते-
- मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के समान वेतन और भत्ते उपलब्ध होते हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को दुर्व्यवहार या पद के दुरुपयोग का आरोप सिद्ध होने पर या अक्षमता के आधार पर संसद द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के माध्यम से ही पद से हटाया जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त के निष्कासन के लिये दो-तिहाई सदस्यों के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है और इसके लिये सदन के कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत से अधिक मतदान होना चाहिये।
- अन्य चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना उनके पद से नहीं हटाया जा सकता।