सुर्ख़ियों में- Uighurs Muslims and Human Rights
- हाल ही में चीन सरकार द्वारा चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुसलमानों के खिलाफ किये जा रहे अपराधों की जांच करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch-HRW) संस्थान द्वारा संयुक्त राष्ट्र से अपील की गयी है।
- इस अपील में Human Rights Watch-HRW संस्थान द्वारा बड़े पैमाने पर मुसलमानों को हिरासत में लिए जाने, धार्मिक प्रथाओं पर कड़ी कर्रवाई तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ अन्य कार्रवाईयों संबंधी रिपोर्ट्स का हवाला दिया है तथा इन कार्रवाईयों को मानवता के विरुद्ध अपराध के समान बताया है।

Human Rights Watch-HRW
- स्थापना- वर्ष 1978 में
- मुख्यालय- संयुक्त राज्य अमेरिका में
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है जो मानवाधिकारों की वकालत और उनसे संबंधित अनुसंधान करने का कार्य करता है।
- वर्तमान में यह अमेरिका का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो विश्व की मीडिया का ध्यान मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर खींचता है।
- कौन है उइगर मुस्लिम- चीन में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त जातीय अल्पसंख्यक समुदाय जो पिछड़े है।
- निवास स्थान- चीन का शिनजियांग क्षेत्र (चीन के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र), मध्य एशियाई देश जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी निवासरत है।
- जातिय उत्पति- मुस्लिम अल्पसंख्यक लोग जो तुर्क जातीय समूह से संबंध रखते है व इनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है।
- उइगर स्वयं को सांस्कृतिक एवं जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब पाते हैं व इनकी स्वयं की एक भाषा हैं, जो तुर्की भाषा के समान है।
- शिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिम, आतंकवाद और अलगाववाद संबंधी झूठे आरोपों के कारण उत्पीड़न, ज़बरन नज़रबंदी, गहन जाँच, निगरानी और यहाँ तक कि गुलामी जैसे तमाम तरह के दुर्व्यवहारों का सामना कर रहे हैं।
- चीन का दावा है कि उइगर समुदाय एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करना चाहता है और, उइगरों के तुर्की और अन्य मध्य एशियाई देशों से सांस्कृतिक संबंधों के कारण, चीनी नेताओं को डर है कि उग्रवादी तत्व शिनजियांग में अलगाववादी आंदोलन को समर्थन दे सकते हैं। इसलिए, चीन की नीति पूरे समुदाय को संदिग्ध मानने और उइगरों की अलग पहचान को समाप्त करने के लिए एक व्यवस्थित परियोजना की शुरुवात है।
- वर्तमान में चीन के शिनजियांग प्रांत में चीन के हान समुदाय के लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जो कि इस क्षेत्र में डोमिनेंट जाति बन गयी है और उइगर मुस्लिमों के समक्ष आजीविका एवं अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है।
- वर्ष 2009 में दोनों समुदायों के बीच हिंसा भी हुई थी, जिसके कारण शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में 200 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकतर चीन के हान समुदाय से संबंधित थे।
- वर्तमान में चीन उइगर मुस्लिमों को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और यह विदेशी जाति के रूप में मानता हैं।
- उइगर लोगों ने प्रारम्भ में शिनजियांग को एक आजाद मुल्क की तरह स्थापित किया था, लेकिन वर्ष 1944 से 1949 के मध्य शिनजियांग के कुछ नेताओं ने इस क्षेत्र को चीन गणराज्य में मिलाने का प्रस्ताव रखा और सन् 1949 में इस क्षेत्र को चीन में मिला दिया गया।

उइगर मुस्लिमों पर चीन का रुख-
- उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों और उन पर हो रहे अपराधों के दावों को लेकर चीन शुरू से ही विरोध करता रहा है। चीन का तर्क है वे अपने ‘शैक्षिक केंद्र’ शिविरों के माध्यम से उइगर ‘चरमपंथी भावनाओं’ और कट्टरपंथीकरण को पनपने नहीं दे रहे हैं।
- चीन ने कहा है कि वह अपने कुछ गुमराह नागरिकों को केवल डी-रेडिकलाइज करता है और उसने दुनिया से अपने आंतरिक मामलों में “अपनी गरिमा का सम्मान” करने के लिए कहा है।
- वर्ष 2020 में विश्व के लोकतांत्रिक देशों ने चीन की तथाकथित उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों और उन पर हो रहे अपराधों को रोकने के लिए चीन को पत्र लिखा था।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने शिनजियांग में चीन के दमन अभियान को तुरंत समाप्त करने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से आह्वान किया था, अमेरिका ने मुसलमान आबादी के दमन में शामिल होने के आरोपी चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाये है व शिंजियांग क्षेत्र में दुर्व्यवहार के आरोपों में अमेरिका से जुड़े 28 चीनी संगठनों को काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में सूचीबद्ध भी किया है।
- सऊदी अरब, पाकिस्तान और यूएई सहित 37 मुस्लिम देशों ने शिनजियांग में चीनी विषम नीतियों का बचाव किया और “विकास के माध्यम से मानव की रक्षा और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने” में चीन के प्रयासों की सराहना की।
- उइगर महिलाओं की इन भयावह कहानियों के बाद भी पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों ने चीन को अपना समर्थन देने की पुष्टि की है।
- भारत सरकार ने उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों और उनके उत्पीड़न को लेकर आज तक कोई विशिष्ट एवं औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है व भारत इस मुद्दे पर चीन से सीधा विवाद उत्पन्न नहीं करना चाहता है क्योंकि वैश्विक मीडिया संस्थान और चीन द्वारा भारत पर जम्मू-कश्मीर में लोगों के मानवाधिकारों के आरोप लगाते है।

निष्कर्ष- विश्व के सभी देशों को उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों के लिए एक साझे मंच पर आवाज उठानी चाहिये व उइगर मुस्लिमों की स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिये और शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों के साथ हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिये चीन पर प्रत्यक्ष दबाव (आर्थिक प्रतिबंध, सेन्य दबाव) डालना चाहिये।