सुर्ख़ियों में- World Press Freedom Index-2021
- हाल ही में जारी नवीनतम विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) 2021 में 180 देशों में से भारत 142वें स्थान पर रहा है।
- भारत वर्ष 2020 में भी 142वें स्थान पर था जो इस बात को उल्लेखित करता है कि भारत में पत्रकारों को प्रदान किये जाने वाले वातावरण में कोई सुधार नहीं हुआ है।
- World Press Freedom Index-2021 में नॉर्वे ने पांचवें वर्ष भी अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है, इसके बाद फिनलैंड और डेनमार्क क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

World Press Freedom Index
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक को प्रतिवर्ष रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ के प्रथम संस्करण को वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था।
- इस सूचकांक में किसी देश में पत्रकारो को प्राप्त स्वतंत्रता के आधार पर रैंकिंग प्रदान कि जाती है न कि पत्रकारिता की गुणवत्ता के आधार पर।
- इस सूचकांक में मीडिया को प्राप्त आज़ादी, कानूनी तंत्र की गुणवत्ता तथा पत्रकारों की सुरक्षा आदि का आकलन किया जाता है।
- स्थापना- साल 1985 में
- मुख्यालय- पेरिस
- यह एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स सार्वजनिक हित में संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद, फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का समूह) और मानव अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है।
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में ‘नॉर्वे’ लगातार पाँच वर्ष भी शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
- इस सूचकांक में देशों को निम्न श्रेणियों में बाटा गया है-
- बहुत खराब श्रेणी
- खराब श्रेणी
- समस्याग्रस्त श्रेणी
- इस सूचकांक में सम्मिलित देशों में लगभग 73% देशों में मीडिया पूरी तरह से या आंशिक रूप से प्रतिबंधित है।
- इस सूचकांक में सम्मिलित देशों में लगभग 7% देशों में पत्रकारिता के लिये अनुकूल वातावरण है, जहाँ पर पत्रकार स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते है।
- सूचकांक में शीर्ष देश-
- नॉर्वे (लगातार पाँच वर्षों से पहले स्थान पर)
- फिनलैंड
- डेनमार्क
- सूचकांक में निम्नतम देश-
- 180वां स्थान- इरीट्रिया
- 179वां स्थान- उत्तरी कोरिया
- 178वां स्थान- तुर्कमेनिस्तान
- 177वां स्थान- चीन
- इस रिपोर्ट में मुख्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए अनेक राष्ट्रों ने राजद्रोह, गोपनीयता’ और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कठोर कानूनों का सहारा लिया हैं।

सूचकांक में प्रेस स्वतंत्रता के संदर्भ में भारत का विश्लेषण-
- भारत को इस सूचकांक में पत्रकारिता के लिये ‘खराब’ श्रेणी के देशों में रखा है।
- इस सूचकांक में वर्ष 2020 में भारत 142वें स्थान पर रहा था व नवीनतम विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में से भारत 142वें स्थान पर रहा है।
- वर्ष 2020 व वर्ष 2021 में रैंकिंग के आधार पर उल्लेखित किया जा सकता है कि भारत में पत्रकारों को प्रदान किये जाने वाले वातावरण में कोई सुधार नहीं किया गया।
- सूचकांक में भारत 2016 में 133वें पायदान पर था, लेकिन उसके बाद से वह लगातार पिछड़ता जा रहा है।
- इसमें भूटान को 65वाँ स्थान, नेपाल को 106वाँ, श्रीलंका को 127वाँ जबकि पाकिस्तान को 145वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- इस रिपोर्ट में भारत की चिंताजनक हालात का कारण सरकार द्वारा बनाए गए भययुक्त वातावरण को ज़िम्मेदार बताया गया है जिसमें पत्रकारों की स्वतंत्रता को सिमित करने के लक्ष्य से पुलिस उत्पीड़न, राजनीतिक हमलो का बढना है।
- रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से भारत की रैकिंग पर काफी प्रभाव पड़ा है।
- रिपोर्ट के मुताबिक कुछ पत्रकारों व उनकी खबरों को ‘राज्य विरोधी’ और ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दिया जाना व भारत में पिछले साल काम के दौरान चार पत्रकारों की मौत होना।
- भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी का लाभ उठाकर तथ्यात्मक और पुख्ता रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर कवरेज पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया जाना।
- रिपोर्ट में सरकार ने पिछले साल देश के मीडिया पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया है।
- भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं किया गया है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत संरक्षित है, जिसमें कहा गया है – “सभी नागरिकों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा”।
- हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी असीमित नहीं होगी। सरकार इस अधिकार के प्रयोग पर केवल अनुच्छेद 19 (2) के तहत प्रतिबंध को लागू कर सकती है।

निष्कर्ष- वर्तमान में जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021 (World Press Freedom Index-2021) में भारत का निम्न स्थान पर होना भारत के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की हालात पर सवालिया चिन्ह लगाता है। भारत सरकार को इस संदर्भ में प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने वाले कदम उठाने चाहिये और लोकतंत्र में प्रेस का महत्वपूर्ण स्थान सुनिश्चित करना चाहिये।