Election Commission of India

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1. RAS Pre

2. RAS Mains- Paper-III/Unit- I

सुर्ख़ियों में:-

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के सन्दर्भ में प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली एक उच्च-शक्ति समिति में चयन करने की शक्ति को निहित कर दिया है।

वाद के सन्दर्भ में पृष्ठभूमि:-

  • वर्ष 2015 में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के सन्दर्भ में केंद्र की शक्ति की संवैधानिक वैधता को अनूप बरनवाल ने चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी।
  • अक्टूबर 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया क्योंकि इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 324 की बारीकी से जांच की आवश्यकता होगी, जो मुख्य चुनाव आयुक्त के जनादेश से संबंधित है।
  • सितंबर, 2022 में न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की थी और लगभग एक महीने बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे गुरुवार को सुनाया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय का की पीठ व निर्णय:-

  • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी
  • इस समिति में प्रधान मंत्री, लोकसभा के विपक्ष के नेता, और विपक्ष का कोई नेता उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सदन में संख्या बल के मामले में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जायेगा।  
  • हालंकि यह निर्णय संसद द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून के अधीन होगा अर्थात संसद इस मुद्दे पर एक नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव को कम कर सकती है।

निर्वाचन आयोग:-

  • निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
  • निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद-324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है।

संरचना:-

  • निर्वाचन आयोग एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों से मिलकर बना हैं।
  • वर्ष 1950 से वर्ष 1989 तक यह केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित एकल-सदस्यीय निकाय था।
  • वर्ष 1989 से वर्ष 1990 तक यह निकाय तीन-सदस्यीय रहा व वर्ष 1990 से वर्ष 1993 तक यह वापस एकल-सदस्यीय निकाय बनाया गया और फिर पुन: 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बनाया गया।

निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ:-

निर्वाचन संविधान के अनुच्छेद-324[1] के अनुसार निर्वाचन आयोग में निर्वाचन पर्यवेक्षण, निर्देशन, नियंत्रण तथा आयोजन करवाने की शक्ति निहित होगी।

निर्वाचन आयोग के कार्य:-

  • भारत में लोकसभा, राज्‍यसभा, राज्‍य विधानसभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करना।
  • चुनावों से पूर्व निर्वाचक नामावली तैयार करना।
  • राजनैतिक दलों का पंजीकरण करना व राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये चुनाव में ‘आदर्श आचार संहिता’ जारी करना।
  • सभी राजनीतिक दलों के लिये प्रति उम्मीदवार चुनाव अभियान खर्च की सीमा निर्धारित करना और उसकी निगरानी करना।
  • निर्वाचन आयोग द्वारा सांसद/विधायक की अयोग्यता (दल-बदल को छोडकर) पर राष्ट्रपति व राज्यपाल को सलाह दी जाती है।
  • निर्वाचन आयोग द्वारा गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है।
  • चुनावों के समय आचार सहिंता को लागू करवाना।

चुनाव आयोग व चुनावों से संबंधित अनुच्छेद:-

  • अनुच्छेद- 324- चुनाव आयोग में चुनावों के लिये निहित दायित्व: अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति का होना।
  • अनुच्छेद- 325- धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची में शामिल न करने और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान का निहित होना।
  • अनुच्छेद – 326- लोकसभा एवं प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होना।
  • अनुच्छेद – 327- विधायिका द्वारा चुनाव के संबंध में संसद में कानून बनाने की शक्ति।
  • अनुच्छेद – 328- किसी राज्य के विधानमंडल को इसके चुनाव के लिये कानून बनाने की शक्ति।
  • अनुच्छेद – 329- चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप का वर्जन।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त:-

मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख होता है और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चुनाव करवाने के लिए उत्तरदायी होता हैं।

कार्यकाल:-

  • भारत के संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
  • वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, तक होता है।
  • निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।

वेतन और भत्ते:-

मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के समान वेतन और भत्ते उपलब्ध होते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाया जाना:-

  • मुख्य चुनाव आयुक्त को दुर्व्यवहार या पद के दुरुपयोग का आरोप सिद्ध होने पर या अक्षमता के आधार पर संसद द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के माध्यम से ही पद से हटाया जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त के निष्कासन के लिये दो-तिहाई सदस्यों के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है और इसके लिये सदन के कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत से अधिक मतदान होना चाहिये।
  • अन्य चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना उनके पद से नहीं हटाया जा सकता। 324- चुनाव आयोग में चुनावों के लिये निहित दायित्व: अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति का होना।

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