Quad Foreign Ministers’ Meeting

Quad-Foreign-Ministers-Meet

Important for:-

1. RAS pre.

2. RAS Mains- Paper-III/Unit- I/IR

सुर्ख़ियों में:-

  • हाल ही में भारत के नेतृत्व में ‘क्वाड’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन नई दिल्ली में किया गया है।
  • बैठक की अध्यक्षता भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा की गयी थी जिसमें  संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, ऑस्ट्रेलियाई के विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा ने बैठक में भाग लिया।
  • ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद क्वाड देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान में मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक के लिए क्वाड देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गयी है जो कि इंडो पैसिफिक की स्थिति को समावेशी और लचीला बनाने की और अग्रसर होने की बात पर जोर देती है।

क्वाड बैठक के परिणाम:-

  • क्वाड के माध्यम से वर्तमान विश्व के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों (स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और अक्षय ऊर्जा, अहम और उभरती प्रोद्योगिकियों, बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी) के समाधान की बात कही गयी है।
  • चीन द्वारा वर्तमान में विभिन्न देशों के कर्ज के जाल में फाँसने की नीति से निपटें की बात कही गयी है।
  • वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष कर्ज की व्यवस्था की जाने की बात कही गयी है।
  • वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग, साइबर सुरक्षा को बढ़ावा, मेरीटाइम सिक्योरिटी को मजबूत करने व आतंकवाद से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाने की बात कही गयी है
  • आसियान देशों के साथ सहयोग बढ़ाने और एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने की बात भी कही, जिसमें आसियान देशों की भी भूमिका को भी बढ़ाया जा सके।
  • मेरीटाइम में अंतरराष्ट्रीय कानून के सन्दर्भ में दक्षिणी और पूर्वी चीन सागर में विशेष रूप से लागू किये जाने की प्रतिबद्धता को प्रकट किया गया है।

क्वाड:-

क्वाड संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का अनौपचारिक रणनीतिक मंच है जो स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने तथा मौजूद चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य के साथ गठित किया गया था।

क्वाड का गठन:-

  • क्वाड समूह के गठन का विचार का श्रेय पूर्व जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे को दिया जाता जिन्होंने इस विचार को वर्ष 2007 में प्रस्तुत किया था।
  • पूर्व जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे को इसकी उत्पत्ति का विचार सर्वप्रथम वर्ष 2004 में आई सुनामी में आया था। वर्ष 2004 में आई सुनामी में भारत ने अपने और पड़ोसी देशों के लिए राहत और बचाव अभियान चलाया था और इसमें जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हुआ था।
  • दिसंबर 2012 में हिंद महासागर से पश्चिमी प्रशांत तक समुद्री सुरक्षा के लक्ष्य के साथ पूर्व जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे पुनः एशिया के “डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड” की अवधारणा के साथ आए । इस अवधारणा में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका शामिल थे।
  • वर्ष 2017 में, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने “क्वाड ” गठबंधन को आकार देने के लिए मंच साझा किया और इसका गठन किया।

क्वाड समूह के सिद्धांत:-

  • क्वाड समूह के गठन के सिद्धांतों में निम्न को सम्मिलित किया जा सकता है-
    • हिंद-प्रशांत में रणनीतिक समुद्री मार्गों को किसी भी सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना
    • नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था बनाना
    • नेविगेशन की स्वतंत्रता व उदार व्यापार प्रणाली को निर्मित करना
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण वित्तपोषण को उपलब्ध करवाना
    • उभरती प्रौद्योगिकियों, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करना।

क्वाड का वैश्विक महत्व:-

  • हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक नियम– आधारित व्यवस्था का निर्माण करने में चीन की संदिग्ध नीतियां और आक्रामक विस्तारवादी प्रवृत्तियां जिसके चलते हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े लगभग सभी मुल्कों के हित बाधित हो रहे हैं। क्वाड इस क्षेत्र में हितों को सहजने के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
  • चीन के प्रभाव को नियंत्रित करने में– भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान इंडो- पैसिफ़िक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए, अधिक से अधिक सैन्य और व्यापारिक सहयोग के ज़रिए अपने गठबंधन को मज़बूत करके चीन के प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके अलावा क्वाड अन्य देशों के बीच भी विश्वास पैदा करेगा और चीन को अपनी रणनीति को फिर से बनाने के लिए मजबूर करेगा।
  • सुरक्षा संबंधी चुनौतियां से निपटने में– क्वाड द्वारा हिंसक संघर्षों, आतंकवाद, असुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक महामारी की चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकता है तथा यह सैन्य सहयोग क्षेत्र में सुरक्षा जोखिम कम करेगा।
  • व्यापार और निवेश के क्षेत्र में– एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए क्वाड सहायक सिद्ध हुआ है, सदस्यों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने, मानकों और नियमों में सामंजस्य स्थापित करने, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने से माल को सीमा पार ले जाने के सतह -साथ व्यापार में चीनी आधिपत्य को कम किया जा सकता है।

भारत के लिए क्वाड का महत्व:-

  • चीन-भारत प्रतिसंतुलन में– चीन द्वारा भारत की उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर अतिक्रमण और अवांछित निर्माण के कारण भारत के समक्ष सीमाओं पर चीन की आक्रामकता को चुनौती देने के लिए क्वाड महत्वपूर्ण हो सकता है।
  • सुरक्षा चुनौतियों में– भारत की हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित के कारण भारत के लिए क्वाड का महत्व ज्यादा हो जाता है क्योंकि क्वाड हिंद महासागर में चीन की संदिग्ध नीतियां और आक्रामक विस्तारवादी प्रवृत्तियां जिसके चलते हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े लगभग सभी मुल्कों के हित बाधित हो रहे हैं, सहेज सकता है।
  • भारत की सैन्य क्षमता के विस्तार में– क्वाड ग्रुप में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे तकनीक और सैन्य सम्पन्न देश है जो वर्तमान में भारतीय सेना की अंतर-क्षमता में वृद्धि करने के साथ-साथ तकनीक उन्नयन के अलावा भारत को चीन और पाकिस्तान की सेन्य शक्ति की तुलना में सैन्य विस्तार को बढ़ाने में सहायक हो सकते है।
  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साख निर्माण में– क्वाड ग्रुप के अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया वैश्विक मंचों पर दबदबा रखते है, भारत वर्तमान में वैश्विक मंचों पर अपनी उपस्थिति को दर्ज करा पाया है जबकि भारत की महत्वाकांक्षा इन मंचों पर दबदबा बनाने की है ताकि भारत अपने हितों को पूरा कर सके।
  • वैश्विक संगठनों में सदस्यता के लिए– वर्तमान में भारत कई संगठनों में सदस्य नहीं है जबकि क्वाड के देश उन संगठनों में सदस्य है । अत: भारत क्वाड के माध्यम से सदस्यता प्राप्ति कर सकता है।
  • बहु ध्रुवीय विश्व व्यवस्था– इस समूह में रहते हुए भारत ने रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी है जो जो बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के उदाहरण के रूप में हो सकती है। अत: भारत अपनी बहु ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की महत्वाकांक्षा को पूरा कर सकता है।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों का विस्तार – भारत और क्वाड के अन्य देश लोकतंत्र के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते है। भारत इस समूह में रहते हुय अपने मूल्यों का विस्तार और चीन की सत्ता के स्वरूप की आलोचना कर सकता है।

भारत के लिए क्वाड में चुनौतियाँ:-

  • भारत का हिन्द-प्रशांत में सिमित होना– वर्तमान में चीन की बढती आक्रमक नीति के चलते क्वाड का पूरा ध्यान हिन्द-प्रशांत पर है, क्वाड में भारत की भागीदारी को देखते हुए इस क्षेत्र में भारत मजबूत नजर आता है। अत: इस क्षेत्र में भारत का अधिकाधिक ध्यान दिया जाना भारत को इस क्षेत्र में सिमित कर सकता है।
  • सुरक्षा चिंता– हिन्द-प्रशांत समुद्री में भारत की सक्रिय भागीदारी के कारण चीन द्वारा भारत को उत्तरी सीमाओं में अतिक्रमण करके प्रतिसंतुलित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है जो भारत के लिए खतरनाक हो सकता है।
  • अमेरिका की विदेश नीति का अस्थिर स्वरूप– अमेरिका ने वैश्विक मुद्दों पर केवल अपने हितों को साधने का प्रयास किया है, इसके सन्दर्भ में भारत को पूर्णत: अमेरिका पर विश्वास किया जाना भारत को संकट में डाल सकता है।
  • चीन द्वारा क्वाड को एशिया का नाटो कहा जाना– वर्तमान में अमेरिका द्वारा क्वाड के स्वरूप को सैन्य स्वरूप में बदलने के प्रयास किये गये है, जो भारत की गूट-निरपेक्ष नीति से विचलन के साथ-साथ चीन को उकसाने के रूप में देखी जा सकती है।

क्वाड सदस्य और चीन:-

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