सुर्ख़ियों में- China’s warning on Taiwan-US foreign relations
हाल ही में चीन ने बाइडेन प्रशासन को “ताइवान के लिए अमेरिकी समर्थन को व्यक्त करने की विदेश नीति” को वापस लेने के लिए कहा है।
चीन ने इस विषय में ताइवान को भी चेतावनी दी है और कहा है कि उसके द्वारा स्वतंत्रता के लिए किए गए किसी भी प्रयास का मतलब ‘युद्ध’ होगा।
चीन, लोकतांत्रिक ताइवान को अपने एक अलग हो चुके प्रांत के रूप में देखता है। इसके विपरीत ताइवान खुद को संप्रभु राज्य मानता है, जिसका एक संविधान और सेना है।
चीन- ताइवान संबंध
आज जिसकों हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है ‘रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ है।
सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए थे।
आज ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ और ‘रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते।
दोनों खुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं।
व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है। मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है।
एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े।
चीन, ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है। वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था।
ताइवान के लिए चीन की “वन चाइना नीति”
चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है।
वन चाइना पॉलिसी का मतलब उस नीति से है, जिसके मुताबिक़ ‘चीन’ नाम का एक ही राष्ट्र है और ताइवान अलग देश नहीं, बल्कि उसका प्रांत है।
वन चाइना पॉलिसी का मतलब ये है कि दुनिया के जो देश पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन) के साथ कूटनीतिक रिश्ते चाहते हैं, उन्हें रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (ताइवान) से सारे आधिकारिक रिश्ते तोड़ने होंगे।
भारत-ताइवान संबंध
राजनीतिक संबंध
सबसे पहले भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ से भारत और ताइवान के संबंधों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली थी।
लुक ईस्ट पॉलिसी के साथ भारत ने धीरे-धीरे वीज़ा प्रतिबंधों में छूट दी।
प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित- वर्ष 1995 में दोनों देशों ने एक-दूसरे की राजधानियों में प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किये।
व्यापार
बीते दो दशकों में भारत-ताइवान के बीच व्यापार 7.5 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है।
वर्ष 2018 में ताइवान ने भारत में तकरीबन 360 मिलियन डॉलर का निवेश किया था।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
वर्ष 2018 में ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर इन इंडिया (TECC) और भारत-ताइपे एसोसिएशन (ITA) ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
शिक्षा
वर्तमान में ताइवान में तकरीबन 2,398 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुल 7 ताइवान शिक्षा केंद्र स्थापित किये गए हैं।